Was nirmala sitharaman ias officer:तो भारत की वित्त्मन्त्री बनने से पहले निर्मला सिथारमं ये थी।

Was nirmala sitharaman ias officer:

क्या निर्मला सीतारमण IAS Iasअधिकारी थीं?

निर्मला सीतारमण, जो वर्तमान में भारत की वित्त मंत्री हैं और भारतीय राजनीतिक परिदृश्य की एक महत्वपूर्ण हस्ती हैं, ने अपने निर्णय क्षमता, कोविड-19 महामारी के दौरान नेतृत्व, और वैश्विक कूटनीति के साथ अपनी पहचान बनाई है। हालांकि, एक सामान्य सवाल जो अक्सर उठता है वह यह है: क्या निर्मला सीतारमण IAS अधिकारी थीं?

संक्षिप्त उत्तर है नहीं, निर्मला सीतारमण कभी भारतीय प्रशासनिक सेवा (IAS) की अधिकारी नहीं रही हैं। लेकिन उनकी करियर यात्रा, शैक्षिक पृष्ठभूमि और राजनीति में उनकी शानदार उन्नति के कारण लोगों को यह विश्वास हो सकता है कि वह कभी IAS अधिकारी रही होंगी। आइए जानते हैं उनके सफर के बारे में और इस भ्रम को स्पष्ट करते हैं।

शैक्षिक पृष्ठभूमि और शुरुआती करियर

निर्मला सीतारमण का जन्म 1959 में मदुरै, तमिलनाडु में हुआ था। उन्होंने तिरुचिरापल्ली के सीतलक्ष्मी रामास्वामी कॉलेज से अर्थशास्त्र में स्नातक की डिग्री प्राप्त की। इसके बाद, उन्होंने जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (JNU) से अर्थशास्त्र में मास्टर डिग्री की, जो भारत के प्रमुख विश्वविद्यालयों में से एक है, और यहाँ उन्होंने सामाजिक और आर्थिक मुद्दों पर गहरी समझ विकसित की।

अपनी शिक्षा पूरी करने के बाद, सीतारमण ने यूनाइटेड किंगडम में ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय से अर्थशास्त्र में M.Phil किया। इस शैक्षिक पृष्ठभूमि ने उन्हें बाद में नीति और शासन के क्षेत्रों में काम करने के लिए मजबूत आधार दिया।

राजनीति में आने से पहले करियर

हालांकि निर्मला सीतारमण ने IAS या किसी अन्य सिविल सेवा परीक्षा में भाग नहीं लिया, फिर भी उनका शुरुआती करियर सार्वजनिक नीति में था। उन्होंने यूके स्थित कंसल्टेंसी फर्म प्राइसवाटरहाउसकूपर्स में वरिष्ठ सलाहकार के रूप में काम किया, जहाँ उनका ध्यान व्यापार और अंतरराष्ट्रीय आर्थिक नीति पर था। इस पेशेवर अनुभव ने उन्हें वैश्विक आर्थिक मुद्दों पर एक मजबूत दृष्टिकोण प्रदान किया, जो उनके राजनीतिक करियर में काफी सहायक साबित हुआ।

हालांकि, उनका करियर तब एक मोड़ पर पहुंचा जब उन्होंने भारतीय राजनीति में कदम रखा। उन्होंने भारतीय जनता पार्टी (BJP) में शामिल होकर पार्टी के आर्थिक प्रकोष्ठ में काम करना शुरू किया और बाद में पार्टी की राष्ट्रीय प्रवक्ता के रूप में कार्य किया।

राजनीति में निर्मला सीतारमण: प्रमुखता की ओर बढ़ना

राजनीति में उनका प्रवेश उनके करियर में एक महत्वपूर्ण बदलाव था, लेकिन यह पारंपरिक सिविल सेवा मार्ग से नहीं था। सीतारमण ने बीजेपी में शामिल होकर अपनी सूझबूझ, प्रभावशाली संवाद कौशल और आर्थिक मुद्दों की गहरी समझ के कारण तेज़ी से पदोन्नति पाई।

उन्होंने 2014 में भाजपा की जीत के बाद वाणिज्य और उद्योग मंत्रालय में राज्य मंत्री के रूप में कार्यभार संभाला। बाद में 2017 में उन्हें भारत की पहली महिला रक्षा मंत्री बनाया गया, जिससे यह साबित हुआ कि वह राष्ट्रीय मामलों को संभालने में कितनी सक्षम हैं।

उनकी सबसे प्रमुख भूमिका 2019 में आई, जब उन्हें भारत की वित्त मंत्री बनाया गया, जहां उन्होंने भारत की आर्थिक स्थिति को कोविड-19 महामारी से निपटने के लिए दिशा दी और देश की कर प्रणाली में बड़े सुधार किए, जिनमें वस्तु और सेवा कर (GST) भी शामिल है।

भ्रम क्यों है?

कई लोग अक्सर निर्मला सीतारमण को IAS अधिकारी समझ लेते हैं क्योंकि उनका करियर सार्वजनिक सेवा और शासन में अत्यधिक सफल रहा है। यह तथ्य कि उन्होंने उच्च-प्रोफ़ाइल सरकारी पदों को संभाला और भारत की नीति पर महत्वपूर्ण प्रभाव डाला, इस भ्रम को जन्म देता है कि वह कभी भारतीय सिविल सेवा की अधिकारी रही होंगी।

हालांकि, उनका करियर उनकी शैक्षिक पृष्ठभूमि, अर्थशास्त्र में पेशेवर विशेषज्ञता, और भारतीय जनता पार्टी से जुड़ी राजनीति के कारण आकार लिया है, न कि पारंपरिक सिविल सेवा मार्ग से।

निष्कर्ष

स्पष्ट करने के लिए: नहीं, निर्मला सीतारमण कभी IAS अधिकारी नहीं थीं। उनका रास्ता शिक्षा, अर्थशास्त्र में पेशेवर अनुभव और भाजपा में राजनीतिक कार्यों के माध्यम से प्रशस्त हुआ। वह इस बात का उदाहरण हैं कि सार्वजनिक सेवा में सफलता केवल IAS अधिकारी बनने से नहीं आती, बल्कि यह उस प्रभाव पर निर्भर करती है जो आप बनाते हैं और बदलाव लाते हैं, चाहे आपका मार्ग कोई भी हो।अगर आपको ऐसे ही समाचार पढने मे मजा आता है तो आप RashtraNews से जुड़ सकते है।RashtraNews

निर्मला सीतारमण की यात्रा कई लोगों के लिए प्रेरणा है, यह सिद्ध करती है कि राजनीति और शासन में सफलता विभिन्न पृष्ठभूमियों और अनुभवों से आ सकती है।